There is a lot going on these days to unsettle our beautiful world. Terrorism is rapidly growing and destroying the very core of every single country. But its the humanity which is suffering the most. Hope these scenes of heinous crimes comes to an end soon and we all can live our life happily ever after.
A short poem on the reality of life against terrorism:
कुछ दर्द का एहसास करते हैं ,
तो कुछ दर्द दिया करते हैं ...
इंसानियत का कौनसा रूप है ये ,
जो वक्त को बदल रहा है ...
कभी मासूमियत का गला घोंट रहा है ,
तो कभी मासूमो का ...
न दिन में सुकून है अब ,
न रात का ठिकाना ...
कुछ दरिंदो का डर है ,
तो कुछ इंसानियत के मसीहा बनने वालों का ...
अनहोनियों के नाम पे ,
जो ये आतंक का साथ दिया करते हैं ...
ये इंसान तो हैं मगर ,
इंसानियत का लहू पीया करते हैं ...
काश ये समझ सकते ,
मानवता का पर्याय ...
और स्थापित कर सकते ,
एक नए कल का अध्याय ...
और स्थापित कर सकते ,
एक नए कल का अध्याय ...
तो कुछ दर्द दिया करते हैं ...
इंसानियत का कौनसा रूप है ये ,
जो वक्त को बदल रहा है ...
कभी मासूमियत का गला घोंट रहा है ,
तो कभी मासूमो का ...
न दिन में सुकून है अब ,
न रात का ठिकाना ...
कुछ दरिंदो का डर है ,
तो कुछ इंसानियत के मसीहा बनने वालों का ...
अनहोनियों के नाम पे ,
जो ये आतंक का साथ दिया करते हैं ...
ये इंसान तो हैं मगर ,
इंसानियत का लहू पीया करते हैं ...
काश ये समझ सकते ,
मानवता का पर्याय ...
और स्थापित कर सकते ,
एक नए कल का अध्याय ...
और स्थापित कर सकते ,
एक नए कल का अध्याय ...
This post is written for the #HalfMarathon blogging challenge at #Blogchatter DailyChatter Suggestions and feedback are most welcome.
Wish this country n wirld have peace n love
ReplyDeleteI wish the same too
DeleteYes, it's very disturbing. These days, you wake up in the morning, and such news hits you. Your poem is apt. Keep writing.
ReplyDeleteHope to see a better future with no hatred in store for anyone.
DeleteThanks for the appreciation!