Sunday, 8 November 2015

रात की चादर ओढ़े हुए …


रात की चादर ओढ़े हुए  … 
ये एक हवा ही तो है 
जो बहे जा रही है ,
इठला रही है , शर्मा रही है  .... 
पर फिर भी सन्नाटे में ,
एक संदल सा एहसास पहुंचा रही है  .... 
पहर दर पहर जो इसने है सीखा मुह मोड़ना ,
शाम के सहर में भी अपनों का साथ छोड़ना  … 
कभी बिना कहे ओझल होना  ,
तो कभी  कहीं एक सर्दी का एहसास दिलाना  … 
हर मौसम में एक अनोखा सा रूप दिखा रही है ,
तो कभी चुप चुपके सबको सता रही है  … 
रात की चादर ओढ़े हुए  …
एक हवा ही तो है
जो बहे जा रही है , इठला रही है 
शर्मा रही है  ....

Wednesday, 10 June 2015

Kya kare kya na kare...



काश के ये प्यार जैसी चीज़ न होती  .... 
न सपने होते ,
न हम दीवाने होते  ....
 न इश्क़ के बहाने होते ,
न झूठे-सच्चे अफ़साने होते ....
न देर रातें बातें होती ,
न अनगिनत मुलाकातें होती ....
  न शामें सुहानी लगती ,
न सुबह बेगानी लगती ....
न कहानियां बनती ,
न कोई कलाकार बनता ....
 न दिल को अफ़सोस होता ,
न प्यार में कोई सोज़ होता ....
काश के बस एक एहसास होता ,
और ये नादान दिल भी अपने पास होता .......




Thursday, 30 April 2015

Udaan !

 एक परिंदा आज़ादी की तलाश में 
कभी गिरते कभी संभलते 
कभी पिंजरे से निकलने के प्रयास में 
मेहनत के रंग दिखलाता है
उड़ना चाहता है वो खुले आसमान के तले 
पर फिर भी उड़ान से घबराता है 
पँख समेटके कभी निराशा से उसका मन भर जाता है 
पर फिर भी कोशिशों से फिर वो साहस दिखलाता है 
डरता है की न खो दे वो ये ज़िन्दगी 
पर फिर भी अपने दिल को समझाता है 
हार के पथ पे चलने से 
वो हमेशा जी छुड़ाता है 
आज़ादी की राह में बस 
अपने मन को ढांढस बंधवाता है 
और कोशिशों के पथ पर 
जीत का बिगुल बजाता है 
बस उड़ने की चाह को लिए 
अपना सपना सच कराता है 
खुले आसमान के तले 
      बस उड़ा चला जाता है …
       बस उड़ा चला जाता है …

Saturday, 18 April 2015

सपनो का जहाँ !


काश के एक ऐसा आशियां होता ....
समन्दर की सहमी हंसी होती ....
 और सितारों के दरमियाँ आसमान होता .... 
काश के हर दिन खुशनुमा होता ....
चिड़ियों की चहचहाती आवाज़ होती....
और गुस्ताखियों में भी चंचलता तलाश होती....
काश के शाम  ढलते -ढलते बरसात होती .... 
मिट्टी की सौंधी खुशबू होती.... 
और मौसम की नटखट सादगी होती....
काश के सपने सच होते....
दिन ढलता और कहीं खो जाते हम....
रात के सन्नाटे में....
फिर सोते और सपने सजाते हम ....