Friday, 13 September 2013

मन का शैतान !!



अब तन्हाई सी छाई है  … 
न जाने अब कौनसी घडी आई है  ... 
सोते है न जागते हैं  … 
वक़्त के पीछे सब भगते हैं  … 
अकेले चलने से मंजिल मिलती नहीं  … 
साथ होने से तन्हाई ढलती नहीं  … 
न जाने मन क्यूँ परेशान है  … 
न जाने क्यूँ ये इतना हैरान है  … 
सब दिमाग  का खेल है लगता है  … 
फिर भी दिल पे जोर कहाँ है  … 
नसीब का खेल ये बड़ा है  … 
न जाने ये सामने कौनसा अनजान रास्ता पड़ा है  … 
अब हलके से शोर से भी डर लगता है  … 
न जाने कौनसा शैतान मन में बस्ता है  … 
न जाने कौनसा शैतान मन में बस्ता है   …. 



Saturday, 7 September 2013

Sandil si hansi !!


सहमी सी हंसी को समझो  …  
उसमे भी कुछ बात है  … 
हाथों की लकीरों को पढो  … 
उसमे भी कुछ ख़ास है  … 
एक बात है जो दस्तक देती है मन में  … 
किसी दिल की आवाज़ को,
यादों में बसा देती है आनन फानन में  … 
डरते हैं तो लगता है  … 
कोई प्यार से सुला दे हमे  … 
नींद न भगाए पर  … 
फिर भी प्यार समझा दे हमे  … 
ग़मों से दूरी बढ़ जाए तो  … 
और प्यार करना सिखा दे हमे  …