कुछ आँखों के पर्दों को खोले ...
आँसूं बहाती नम आँखों से देखे …
उन पलों के लिए रोये थे जब …
अपने ग़मों को भुलाते हुए देखे …
दिलों की बातों को लेके …
टूटे थे जो वो सपने …
अब बहते हुए अश्क से कुछ अनजाने से लगते हैं …
साहिल के सुकून की चादर ओढ़े हुए …
अब अपने भी बेगाने से लगते हैं …
गुमसुम सी हंसी को लिए …
अब चलना है यारों …
आँखों में खुशियों को लिए …
अब कुछ करना है यारों …