यादों को लेके बहुत दूर चला आया हूँ ..
वक़्त को पीछे छोड़ बहुत दूर चला आया हूँ ..
अब काटे ये वक़्त कटता नहीं उन सपनो को छोड़ बहुत दूर चला आया हूँ..
बचपन से जिनके साथ रहा अब उन्हें भी छोड़ बहुत दूर चला आया हूँ ..
याद तो भुला नही सकता पर फिर भी याद कर रहा हूँ ...
न जाने वो दिन कब लौटेंगे जब सब साथ मिलेंगे और उन यादों को हकीकत में बदलेंगे..
वो ज़िन्दगी के हर मोड़ पे जुड़े दोस्तों को कौन भुलायेगा जिनके साथ हर लम्हा जिया था ...
वो रिश्ता रखे न रखे पर उनकी दोस्ती को ज़हन से कैसे निकलूं, जिनके साथ मस्ती भरे पल बिताये थे ..
अकेले रहने की आदत नही थी और अब सबसे अकेला हो गया हूँ..
पुरानी बातों को सोचके रोऊँ या हंसूं ..
इस कशमोकश में कैसे नयी पहल करूँ ..
उम्मीद में रहता हूँ की फिरसे सब मिले और नयी शुरुआत करे ..
पुरानी यादों को संजो के रखे और नयी यादें बनाये ..
बस सब साथ दे तो वापस से पुराना आशियाँ सजाये ...