उन्ही ने बचपन में चलना सिखाया..
उन्ही ने बचपन में रातों रात जगके मुझे सुलाया..
उन्ही के दुलार ने मुझे ज़िन्दगी का पहलू दिखाया ..
अपने हाथों से खाना खिलाके मुझे बड़ा बनाया ..
जब में लडखडाता था तो मुझे चलना सिखाया..
वो माँ-पापा का मुझे खिलाना...
वो अपनी ज़रूरतों को छोडके मेरे खिलोने खरीदना..
वो मेरे सोने पे मुझे लोरी सुनाना ..
वो मेरी पसंद को अपनी पसंद बनाना ..
वो मुझे रोज़ स्कूल छोड़ने और लेने जाना ..
मेरी गलती पे मुझे समझाना ..
रात भर जगके मुझे पढाना ..
गर्मियों में बाहर घुमने जाना ..
अपने मन की चीज़ छोडके मुझे कार्टून दिखाना ..
वो मेरे जन्मदिन पे नए कपडे दिलाना ..
बड़े होने पर मुझे कोचिंग पढवाना..
मम्मी का रोज़ स्कूल के लिए लंच बनाना..
अच्छे नंबर न आने पे भी समझाना ..
कॉलेज के पहले दिन पे मुझे छोड़ने जाना ..
वो मेरी ज़रूरतों को समझके पॉकेट मनी देना ..
वो मेरी नौकरी लगने पे खुशियों का घर में आना ..
मेरे बाहर जाने पे वो उनके आँखों का नम होना ..
वो मेरी याद में उनका आंसू बहाना..
माँ-पापा का प्यार संजोये रखना चाहता हूँ ..
उनकी हर एक याद को अपने ज़हन में बसाना चाहता हूँ ..
उनके बिना मैं कुछ न था ये अब दुनिया को समझाना चाहता हूँ ..
उनकी हर एक इच्छा को पूरा करना चाहता हूँ ..
वक़्त के उन पन्नो को वापस याद करके अपने आने वाले कल को और अच्छा बनाना चाहता हूँ...