Thursday 3 July 2014

Tanha dil..!



गमो को छोड़ बहुत दूर जा रहा हूँ ,
वक़्त को छोड़ बहुत दूर जा रहा हूँ  ..
इस मासूम से पल में न जाने किस से घबरा रहा हूँ  ,
दर-दर भटक के न जाने किस को समझा रहा हूँ  ..
तन्हाई से डरता था में कभी ,
कभी खुदसे घबराता था  …
बारिश में भीगते-भीगते ,
बस अकेला चलता जाता था  … 
वक़्त ने ऐसी करवट ली ,
न जाने कितने गम दे गयी  …  
एक आस थी मन में जो बसी ,
बिखर गयी दिल की हर ख़ुशी  … 
रात हो या दिन , बस एक ख्याल आता है, 
सपनो में ऐ दोस्त सचाई से रूबरू क्यों नही कराता है  ....