We all have certain dreams in our hearts for satisfying our thoughts and sometimes just to motivate oneself. Often, I think of people who doesn't have dreams and their daily life is much more sorted than others. But still many people dream, so do I, that too with a disengaged head and some realistic yet complicated imagination.
So, here's a poem on what all I mostly dream about and some unsorted strings of my philosophical facet. :)
एक अनसुनी कहानी सुनाना चाहता हूँ ...
तो कुछ कोरे पन्नो में शब्द बुनना चाहता हूँ ....
घड़ी के काँटों की आवाज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी गुलाब जामुन की मिठास बनना चाहता हूँ ....
कभी ग़ालिब की ग़ज़ल का साज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी चाँद की चाँदनी का मोहताज़ बनना चाहता हूँ ....
काली स्याही से इतिहास लिखना चाहता हूँ ...
तो कभी रंगमंच पे एक अनूठा किरदार निभाना चाहता हूँ ....
कभी सूरज की किरणों का तेज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी माँ के प्यार का एहसास बनना चाहता हूँ ....
चाहने के मायने तो सब समझना चाहते हैं ....
और में उन मायनों का पर्याय बनना चाहता हूँ ....
तो कुछ कोरे पन्नो में शब्द बुनना चाहता हूँ ....
घड़ी के काँटों की आवाज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी गुलाब जामुन की मिठास बनना चाहता हूँ ....
कभी ग़ालिब की ग़ज़ल का साज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी चाँद की चाँदनी का मोहताज़ बनना चाहता हूँ ....
काली स्याही से इतिहास लिखना चाहता हूँ ...
तो कभी रंगमंच पे एक अनूठा किरदार निभाना चाहता हूँ ....
कभी सूरज की किरणों का तेज़ बनना चाहता हूँ ....
तो कभी माँ के प्यार का एहसास बनना चाहता हूँ ....
चाहने के मायने तो सब समझना चाहते हैं ....
और में उन मायनों का पर्याय बनना चाहता हूँ ....
Happy World Poetry Day to all the wonderful and creative poets! :)