Tuesday, 7 October 2014

DiL ChAhTa HaI !



तेरी इन आँखों में डूबने को दिल चाहता है  ....
वक़्त न निकल जाए ,
इस समुन्दर में बहने को दिल चाहता है  …
रूह से निकली आवाज़ की सुने तो ,
ख्वाबों को जीने का दिल चाहता है  .... 
कमज़ोरी को गले लगाये तो ,
शोरगुल में भी सन्नाटा सा छा जाता है   …
अजब सा जूनून है इस तनहा मन में ,
अजब सा है ये एहसास   ....
उलझन में फसा हुआ हूँ में एक मुसाफिर  ....
कोई राह दिखाए तो ,
प्यार करने को भी दिल चाहता है   …

No comments:

Post a Comment