गमो को छोड़ बहुत दूर जा रहा हूँ ,
वक़्त को छोड़ बहुत दूर जा रहा हूँ ..
इस मासूम से पल में न जाने किस से घबरा रहा हूँ ,
दर-दर भटक के न जाने किस को समझा रहा हूँ ..
तन्हाई से डरता था में कभी ,
कभी खुदसे घबराता था …
बारिश में भीगते-भीगते ,
बस अकेला चलता जाता था …
वक़्त ने ऐसी करवट ली ,
न जाने कितने गम दे गयी …
एक आस थी मन में जो बसी ,
बिखर गयी दिल की हर ख़ुशी …
रात हो या दिन , बस एक ख्याल आता है,
सपनो में ऐ दोस्त सचाई से रूबरू क्यों नही कराता है ....
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