तनहाइयों से परे तो हम भी न थे
लेकिन अपनों ने भी बेगाना बना दिया
जिनको याद किया करते थे
आज उन्हने भी न मिलने का बहाना बना दिया
जिन सपनो के सहारे जी रहे थे
अब उन सपनो को भी अनजाना बना दिया
सोचा था अब अपने आप को संभाल लेंगे
लेकिन इस सोच को भी रूहाना बना दिया
उमीदों के इस समुन्दर में अब कहीं खुद को न खो दें
इस लायक हमने अपने दिल को बना दिया
समझने वाले समझे न समझे
लेकिन समझाने वालों को भी आज हमने समझा दिया
very nice and touchy.
ReplyDeleteThank you so much, Jyotirmoy! So glad that you liked it. :)
DeleteWow..touchy! Nice one..you are good with poetry too :)
ReplyDeleteThanks for your kind words! Your feedback always encourages me to write more. Thank you for being an awesome reader! 😊
DeleteNeat. And moving too, Saumy. :)
ReplyDeleteThank you so much! Really glad that you liked it! :)
DeleteNice poem. Beautiful sentiment.
ReplyDeleteThank you so much Sir! So glad that you liked it :)
DeleteLife....and its pains....beautiful poem....
ReplyDeleteThank u so much! Glad that you liked it! :)
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