There comes a time in everyone's life when a person feels sad before leaving his/her home. Separation is something that plays a hard part when you live far from home and visit on certain occasions, that too for short periods. I always feel that whether parents shows their emotions or not as they miss their children immensely when they live far from them.
So here's a poem, I'm sharing with you all! The first two stanzas depicts the sad emotion and the last stanza depicts the joy (like a happy ending)!
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
अपनों से दूर जाने की जो खबर ये लायी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
वक़्त के पन्ने कब पलटते गए ,
न खबर हमको कभी लग पायी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
ये जो गहरे रिश्तों को कभी न भूल पायी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
घर की रौनक को छोड़ चले जा रहे हैं हम सब ,
माता-पिता से दूरिया जो बढ़ा रहे हैं हम सब ,
ये बात किसी को न समझ आयी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
वो जो ममता के एहसास को भुलाते जा रहे हैं ,
वो जो अपनों के गमो को हम समझ न पा रहे हैं ,
ये खेल की बिसात में ,
जो जीवन की बाज़ी लगायी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ....
दिल की बात जो आज समझ आयी ,
अंधेरे में एक लौ जो तुमने जलायी ,
खुशी है की रात सुहानी आज नज़र आयी ,
आज फिर एक बार बिरहा की घड़ी आयी ...
नये किस्से जो ये साथ में लायी ,
नये वादे ये जो संग कर आयी ,
बिरहा होने का दर्द ये छोड़ आयी ,
आज फिर एक बार खुशी की लहर सी छायी ...
आज फिर एक बार खुशी की लहर सी छायी ...