
किसी को शौहरत चाहिए,
तो किसी को मोहब्बत ....
किसी को सुकून चाहिए ,
तो किसी को बरकत ....
है ये मन का खेल एक बड़ा ,
न जाने कितने सदियों से चलता आ रहा है ये सिलसिला ....
पहर दर पहर ,
किस्से बनते जा रहे हैं ....
कभी हम उनको ,
तो कभी वो हमको ,
ये बातें सुना रहे हैं ....
दिल की चाहत को समझो ,
तो एहसास होता है ....
ये मन का वहम है यारों ,
कभी दिल अपने पास ,
तो कभी उनके पास होता है ....
डरता तो खुदा भी है ,
अपने बन्दों की जरूरतों से ....
सुनने से मुकरता है ,
तो कभी हक़ीक़त बयाँ करने से कतराता है ....
है ये मन का खेल एक बड़ा ,
न जाने कितने सदियों से चलता आ रहा है ये सिलसिला .....
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