Thursday, 24 March 2016

Make your day count..



There is a lot we see daily, 
There is a lot we ignore daily.
There is a lot we think daily,
There is a lot we miss daily.
There is a lot we spend daily,     
There is a lot we loose daily.

But the days are different!  
When we see, think and spend together on things worth doing.

And the days are different!
When we ignore, miss and loose together on things worth leaving. 

The days we make good for others,
Are the days we want to see daily,
Are the days we don't want to ignore daily.                    
Are the days we want to think for daily,
Are the days we don't want to miss on daily.
Are the days we want to spend on daily,
Are the days we don't want to loose for daily.

So, live your days wisely..
And fill someone's life with happiness daily...

Sunday, 31 January 2016

क्या हर कहानी अधूरी होती है ??


हर कहानी अधूरी नहीं होती  .... 
कभी किस्सों से भरी होती है  ..... 
तो कभी कोरे कागज़ की तरह  .... 
पर फिर भी कुछ कहती है  ... 
जो शब्दों में बयां न होती है  .... 
कभी कुछ गहराइयों से भरी होती है  .... 
मगर सच कहे तो हर कहानी अधूरी नहीं होती है   ... 
कभी ख़ुशी के पल संजोके रखती है  .... 
तो कभी मन की बातें छुपाके रखती है  .... 
कहे जाने से न जाने क्यों कतराती है  .... 
अधूरी हो या न हो  ... 
पर फिर भी न जाने क्यों ये तन्हाई के समन्दर में बही जाती है  ....
बातें बहुत बनाती है  ... 
किस्से बहुत सुनाती है  ... 
पर सच कहे तो हर कहानी अपने अंदर एक ख़ामोशी को अपनाती है  ... 
अधूरी हो या न हो  ...
पर फिर भी ये कहानी सच्चाई का आइना दिखाती है  ....

Wednesday, 6 January 2016

Those days were the days...




Those days were so ugly,
Those days were so numb.
Those days of past and future,     
Those days of sheer boredom.
Those days of serious madness,    
Those days of less fun.
Those days of pain and tantrums,
Those days of unwanted attention.    
Those days were so lonely,
Those days were so random.
Those days were the days,
When I first saw myself awesome,
Because those were the days,
When I learnt more about life and freedom.

Sunday, 8 November 2015

रात की चादर ओढ़े हुए …


रात की चादर ओढ़े हुए  … 
ये एक हवा ही तो है 
जो बहे जा रही है ,
इठला रही है , शर्मा रही है  .... 
पर फिर भी सन्नाटे में ,
एक संदल सा एहसास पहुंचा रही है  .... 
पहर दर पहर जो इसने है सीखा मुह मोड़ना ,
शाम के सहर में भी अपनों का साथ छोड़ना  … 
कभी बिना कहे ओझल होना  ,
तो कभी  कहीं एक सर्दी का एहसास दिलाना  … 
हर मौसम में एक अनोखा सा रूप दिखा रही है ,
तो कभी चुप चुपके सबको सता रही है  … 
रात की चादर ओढ़े हुए  …
एक हवा ही तो है
जो बहे जा रही है , इठला रही है 
शर्मा रही है  ....

Wednesday, 10 June 2015

Kya kare kya na kare...



काश के ये प्यार जैसी चीज़ न होती  .... 
न सपने होते ,
न हम दीवाने होते  ....
 न इश्क़ के बहाने होते ,
न झूठे-सच्चे अफ़साने होते ....
न देर रातें बातें होती ,
न अनगिनत मुलाकातें होती ....
  न शामें सुहानी लगती ,
न सुबह बेगानी लगती ....
न कहानियां बनती ,
न कोई कलाकार बनता ....
 न दिल को अफ़सोस होता ,
न प्यार में कोई सोज़ होता ....
काश के बस एक एहसास होता ,
और ये नादान दिल भी अपने पास होता .......




Thursday, 30 April 2015

Udaan !

 एक परिंदा आज़ादी की तलाश में 
कभी गिरते कभी संभलते 
कभी पिंजरे से निकलने के प्रयास में 
मेहनत के रंग दिखलाता है
उड़ना चाहता है वो खुले आसमान के तले 
पर फिर भी उड़ान से घबराता है 
पँख समेटके कभी निराशा से उसका मन भर जाता है 
पर फिर भी कोशिशों से फिर वो साहस दिखलाता है 
डरता है की न खो दे वो ये ज़िन्दगी 
पर फिर भी अपने दिल को समझाता है 
हार के पथ पे चलने से 
वो हमेशा जी छुड़ाता है 
आज़ादी की राह में बस 
अपने मन को ढांढस बंधवाता है 
और कोशिशों के पथ पर 
जीत का बिगुल बजाता है 
बस उड़ने की चाह को लिए 
अपना सपना सच कराता है 
खुले आसमान के तले 
      बस उड़ा चला जाता है …
       बस उड़ा चला जाता है …

Saturday, 18 April 2015

सपनो का जहाँ !


काश के एक ऐसा आशियां होता ....
समन्दर की सहमी हंसी होती ....
 और सितारों के दरमियाँ आसमान होता .... 
काश के हर दिन खुशनुमा होता ....
चिड़ियों की चहचहाती आवाज़ होती....
और गुस्ताखियों में भी चंचलता तलाश होती....
काश के शाम  ढलते -ढलते बरसात होती .... 
मिट्टी की सौंधी खुशबू होती.... 
और मौसम की नटखट सादगी होती....
काश के सपने सच होते....
दिन ढलता और कहीं खो जाते हम....
रात के सन्नाटे में....
फिर सोते और सपने सजाते हम ....