Saturday, 18 April 2015

सपनो का जहाँ !


काश के एक ऐसा आशियां होता ....
समन्दर की सहमी हंसी होती ....
 और सितारों के दरमियाँ आसमान होता .... 
काश के हर दिन खुशनुमा होता ....
चिड़ियों की चहचहाती आवाज़ होती....
और गुस्ताखियों में भी चंचलता तलाश होती....
काश के शाम  ढलते -ढलते बरसात होती .... 
मिट्टी की सौंधी खुशबू होती.... 
और मौसम की नटखट सादगी होती....
काश के सपने सच होते....
दिन ढलता और कहीं खो जाते हम....
रात के सन्नाटे में....
फिर सोते और सपने सजाते हम ....

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