कुछ तन्हाई के आलम में,
कुछ अपने ही गम में
कुछ रात के अँधेरे में,
कुछ सुबह के उजाले में,
आँखों की गहराईयों में,
एक सपना संजो के रखा था !
सोते थे न जगते थे ,
पर सपने ही कुछ अपने से लगते थे,
दिन की परछाई में, दिलों की गहराई में,
कुछ अनछुए पलों में,
कुछ अकेले से मन में,
दूर हो गए वो, जिन्हें कभी सोचा था अपना !!
दूर हो गए वो, जिन्हें कभी सोचा था अपना !!

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