Saturday, 24 August 2013

Pal !!!!

 
कुछ आँखों के पर्दों को खोले ...
आँसूं बहाती नम आँखों से देखे … 
उन पलों के लिए रोये थे जब … 
अपने ग़मों को भुलाते हुए देखे … 
दिलों की बातों को लेके … 
 टूटे थे जो वो सपने … 
अब बहते हुए अश्क से कुछ अनजाने से लगते हैं … 
साहिल के सुकून की चादर ओढ़े हुए … 
अब अपने भी बेगाने से लगते हैं … 
 गुमसुम सी हंसी को लिए … 
अब चलना है यारों … 
आँखों में खुशियों को लिए … 
अब कुछ करना है यारों …

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