हर कहानी अधूरी नहीं होती  .... 
कभी किस्सों से भरी होती है  ..... 
तो कभी कोरे कागज़ की तरह  .... 
पर फिर भी कुछ कहती है  ... 
जो शब्दों में बयां न होती है  .... 
कभी कुछ गहराइयों से भरी होती है  .... 
मगर सच कहे तो हर कहानी अधूरी नहीं होती है   ... 
कभी ख़ुशी के पल संजोके रखती है  .... 
तो कभी मन की बातें छुपाके रखती है  .... 
कहे जाने से न जाने क्यों कतराती है  .... 
अधूरी हो या न हो  ... 
पर फिर भी न जाने क्यों ये तन्हाई के समन्दर में बही जाती है  .... 
बातें बहुत बनाती है  ... 
किस्से बहुत सुनाती है  ... 
पर सच कहे तो हर कहानी अपने अंदर एक ख़ामोशी को अपनाती है  ... 
अधूरी हो या न हो  ... 
पर फिर भी ये कहानी सच्चाई का आइना दिखाती है  .... 




 
